Wednesday, April 22, 2020

विश्व पुस्तक दिवस

       किताबें

किताबें करती हैं बातें
बीते जमानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की कल की
एक-एक पल की।

खुशियों की, गमों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की।

सुनोगे नहीं क्या
किताबों की बातें?
किताबें, कुछ तो कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।

किताबों में चिड़िया दीखे चहचहाती,
कि इनमें मिलें खेतियां लहलहाती।

किताबों में झरने मिलें गुनगुनाते,
बड़े खूब परियों के किस्से सुनाते।

किताबों में साईंस की आवाज़ है,
किताबों में रॉकेट का राज़ है।

हर इक इल्म की इनमें भरमार है,
किताबों का अपना ही संसार है।

क्या तुम इसमें जाना नहीं चाहोगे?
जो इनमें है, पाना नहीं चाहोगे?

किताबें कुछ तो कहना चाहती हैं,
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं!