AN ORIGINAL IDEA. THAT CAN'T BE TOO HARD.THE LIBRARY MUST BE FULL OF THEM
STUDY AT HOME
- TEACHERS RESOURCE FOR LEARNING OUTCOMES
- LEARNING OUTCOMES AT ELEMENTARY STAGE
- ACADEMIC PLAN ASSESSMENT AND ITS IMPLEMENTATION AS PER NEP
- CBSE REVISED SYLLABUS (2021)
- ALTERNATIVE ACADEMIC CALENDER
- SPLIT-UP SYLLABUS 2020-21
- NCERT BOOKS(2020)
- DIKSHA APP
- NCERT SOLUTION-MATHS
- MY CBSE GUIDE
- NATIONAL EDUCATION POLICY 2020
- CBSE SAMPLE PAPER CLASS 10-2020
- KVS- STUDY MATERIAL X & XII
- CAREER & COUNSELING
- E-Books (Class 1& 2)
- E-Books (Class 3-5)
- CBSE SAMPLE PAPER-XII 2022-23
- CBSE SAMPLE PAPER- X 2022-23
- CBSE SYLLABUS 2022-23
- CBSE CURRICULAM 2023-24
Wednesday, November 25, 2020
CONSTITUTION DAY - 26 November
UNIQUENESS OF INDIAN CONSTITUTION
1.Indian Constitution is one of the longest Constitutions in the world.
2. Indian Constitution is the only Constitution that was handwritten in two languages, English and Hindi by Prem Behari Narain Raizada.
3. Dr. BR Ambedkar is known as the father of the Indian Constitution.
4. The Constitution of India declared the country as a sovereign, socialist, secular and Democrats republic.
5. Constitution of India assures its citizen of justice, equality, liberty and helps in promoting fraternity without any discrimination based on caste, creed, religion, gender or place of birth.
6. It took nearly 2 years 11 months and 18 days to finish the Constitution of India.
7. The concept of the five-year plan was borrowed by the Constitution of the USA and the concept of an independent judiciary was taken from the Constitution of Japan.
8. The national Constitution day is celebrated on the 26th of November every year.
9. The Constitution of India was officially adopted and came into force on 26 January 1950, which is also known as the Republic Day of India.
10.The English version of the Constitution has 117369 words, 444 articles, 22 parts, 12 schedules and 104 amendments.
Tuesday, November 24, 2020
Thursday, November 12, 2020
मौलाना अबुल कलाम आजाद
मौलाना आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से मशहूर हुए। मौलाना आजाद स्वतंत्रता संग्राम के अहम लीडरों में से एक थे। वह लीडर के साथ-साथ पत्रकार और लेखक भी थे। उनके पिता का नाम मौलाना सैयद मोहम्मद खैरुद्दीन बिन अहमद अलहुसैनी था। उनके पिता एक विद्वान थे जिन्होंने 12 किताबें लिखी थीं और उनके सैकड़ों शागिर्द (शिष्य) थे। कहा जाता है कि वे इमाम हुसैन के वंश से थे। उनकी मां का नाम शेख आलिया बिंते मोहम्मद था जो शेख मोहम्मद बिन जहर अलवत्र की बेटी थीं। साल 1890 में उनका परिवार मक्का से कलकत्ता शिफ्ट हो गया था। 13 साल की उम्र में उनकी शादी खदीजा बेगम से हो गई।
शिक्षा
आजाद ने अपने परिवार की संस्कृति के मुताबिक पांपरिक इस्लामी शिक्षा हासिल की। पहले उनको घर पर पढ़ाया गया और बाद में उनके पिता ने पढ़ाया। फिर उनके लिए शिक्षक रखे गए। आजाद का संबंध एक धार्मिक परिवार से था इसलिए शुरुआत में उन्होंने इस्लामी विषयों का ही अध्ययन किया। उन्होंने कई भाषाओं जैसे उर्दू, हिंदी, फारसी, बंगाली, अरबी और इंग्लिश पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र, इतिहास और समकालीन राजनीतिक का भी अध्य्यन किया। उन्होंने अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की जैसे देशों का सफर किया। पढ़ाई के दिनों में वह काफी प्रतिभाशाली और मजबूत इरादे वाले छात्र थे। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने अपना पुस्तकालय चलाना शुरू कर दिया, एक डिबेटिंग सोसायटी खोला और अपनी उम्र से दोगुने उम्र के छात्रों को पढ़ाया। 16 साल की उम्र में उन्होंने सभी परंपरागत विषयों का अध्ययन पूरा कर लिया था।
राष्ट्रवादी क्रांतिकारी बनने की वजह
अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तुर्की की यात्रा में उन्होंने वहां के उन क्रांतिकारियों से भेंट की जो अपने देश में एक संवैधानिक सरकार के गठन के लिए लड़ रहे थे और इस वजह से उनको देश से निकाल दिया गया था। इन क्रांतिकारियों से उनको देश की असल स्थिति के बारे में पता चला और वे राष्ट्रवादी क्रांतिकारी बनने के लिए प्रेरित हुए।
उन्होंने कई किताबें भी लिखीं जिनमें उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारत में स्वशासन की वकालत की। भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर उन्होंने एक किताब भी लिखी है, 'इंडिया विंस फ्रीडम' जिसे 1957 में प्रकाशित किया गया।
महात्मा गांधी के पुरजोर समर्थक
जब खिलाफत आंदोलन छेड़ा गया तो उसके प्रमुख लीडरों में से एक आजाद भी थे। खिलाफत आंदोलन के दौरान उनका महात्मा गांधी से सम्पर्क हुआ। उन्होंने अहिंसक नागरिक अवज्ञा आंदोलन में गांधीजी का खुलकर समर्थन किया और 1919 के रॉलट ऐक्ट के खिलाफ असहयोग आंदोलन के आयोजन में भी अहम भूमिका निभाई। महात्मा गांधी उनको 'ज्ञान सम्राट' कहा करते थे।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में 1947 से 1958 तक मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा मंत्री रहे। 22 फरवरी, 1958 को हृदय आघात से उनका निधन हो गया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) जैसे संस्थानों की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उनके योगदानों को देखते हुए 1992 में उनको भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और उनके जन्मदिन को भारत में नैशनल एजुकेशन डे यानी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया।
Flag day celebration
The
70th Foundation Day of Bharat Scouts and Guide was celebrated with enthusiasm
among the students and teachers on 7-11-2020 at 9:30
Schedule of the program
The
program began in the morning with flag break and flag song. Principal of KV
khairagarh Sh SR Kujur graced the occasion as Chief guest.
Due
to covid 19 all the activities were organized virtually
Ms
Neha Namdev gave a short speech on the importance of flag day, she very well
explained the importance of the symbols given in it.
Next speech given by Ms Ayushi Namdeo on the contribution of scouts and guides, she recalled the services rendered by scouts and guides.
Our chief guest Sh. S R Kujur, principal addressing the cubs, bulbuls, scouts, guides and trained adult leaders, sir encouraged the students and motivated them to follow the rules and objectives of this movement.